Sachpost News Network : jai Bhim केवल दो शब्द नहीं है ये विचारों का एक समंदर है। जो देश में समानता, भाईचारा और बंधुत्व की बात करता है। यह नारा सबसे पहले आंबेडकर आंदोलन के एक कार्यकर्ता बाबू हरदास एलएन (लक्ष्मण नागराले) ने 1935 में दिया था।आंबेडकर आंदोलन के लिए समर्पित लोग उनके सम्मान में उन्हें Jia Bhim कहते हैं । jai Bhim केवल अभिवादन का शब्द नहीं है बल्कि आज यह आंबेडकर आंदोलन का सशक्त नारा है। आज अम्बेडकर की विचारधारा को मानने वाले तमाम जाति धर्म के लोग गर्व से ‘जय भीम’ कहते हैं।
शुरुआत में महाराष्ट्र में आंबेडकर आंदोलन के कार्यकर्ता और आंबेडकर के साथ भावनात्मक सम्बन्ध रखने वाले एक दूसरे से मिलते समय ‘jai Bhim’ कहते थे। लेकिन अब ये महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में लोगों की जुबान पर आ चुका है।
बाबू हरदास ने कहा था सबसे पहले ‘जय भीम’
महाराष्ट्र के नासिक में कालाराम मंदिर की लड़ाई और चावदार झील के सत्याग्रह के चलेत डॉ. आंबेडकर घर-घर में प्रसिद्ध हो चुके थे। डॉ. आंबेडकर ने जिन दलित लीडर्स को आगे बढ़ाया उनमें से एक थे बाबू हरदास। रामचंद्र क्षीरसागर की लिखी पुस्तक ‘Dalit Movement in India and its Leaders’ में जिक्र आता है कि बाबू हरदास ने सबसे पहले जय भीम नारा दिया था। जो आज तक लोग बड़े गर्व के साथ बोलते हैं।
गुंडागर्दी करने वाले असामाजिक लोगों को नियंत्रण में लाने और समानता के विचारों को हर गांव में फैलाने के लिए डॉ.आंबेडकर ने समता सैनिक दल की स्थापना की थी। बाबू हरदास समता सैनिक दल के सचिव थे।
कमाठी और नागपुर क्षेत्र से कार्यकर्ताओं का बाबू हरदास ने एक संगठन बनाया था। जिसमें ‘जय भीम’ कह कर एक-दूसरे का अभिवादन करने और जवाब में ‘बल भीम’ का उद्घोष करने का सुझाव दिया गया था।
आज देश के कोने-कोने में जय भीम की गूंज
पंजाब की लोकप्रिय गायिका गिन्नी माही ने हाल ही में गाया ‘जय भीम-जय भीम, बोलो जय भीम’ गीत लोगों की जुबान पर है।
उत्तर प्रदेश के युवा अंबेडकरवादी नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने संगठन का नाम ‘भीम आर्मी’ रखा है। भीम आर्मी के सदस्य जय भीम गगनचुंबी नारा जोर-शोर से लगाते हैं। इसके अलावा बामसेफ के सदस्य भी ‘जय भीम’ से सम्बोधन करते हैैं और वे तमाम लोग जो डॉक्टर अम्बेडकर की विचारधारा को समझते हैं वे भी ‘जय भीम’ बोलने में गर्व की अनुभूति करते हैं।
जब दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुआ तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने डॉ. आंबेडकर की तस्वीरें लहराईं। तीन कृषि कानून के विरोध में देश के किसानों ने आंदोलन के दौरान ‘जय भीम’ के नारे लगाए, जो यह बताता है कि ‘जय भीम’ किसी एक समुदाय विशेष का उद्बोधन नहीं है बल्कि यह न्याय, बंधुता और समानता का परिचायक है।
जैसे-जैसे बाबासाहेब का महत्व और विचारों का प्रसार बढ़ रहा यह नारा भी सर्वव्यापी होता जा रहा है। मंडल आयोग के बाद देश में वैचारिक उथल-पुथल मच गई । इससे न केवल दलितों में बल्कि अन्य उपेक्षित जातियों में भी चेतना पैदा हुई और इस नारे को और अधिक मजबूती के साथ स्थापित किया।
Read Also: Bhim army chief
यूट्यूब पर अम्बेडकरवादी विचारधारा के चैनल दे रहे ‘jai Bhim’ को नया आयाम
जय भीम, अम्बेडकरनामा, द अम्बेडकरराइट्स, नेशनल दस्तक, दलित दस्तक, बहुजन टीवी, आर्टिक्ल-19, द न्यूज बीक, द मूकनायक, तथागत लाईव, सत्य शोधक भारत, नेशनल जनमत और अम्बेडकर ऑब्जर्वेशन जैसे बहुत से यूट्यूब पर चैनल हैं जो ‘जय भीम’ की इस विचारधारा को गतिमान किए हुए हैं। जो निरंतर समाज में समानता और बंधुत्व की आवाज को ‘जय भीम’ के उदगोष के साथ उठाने का काम कर रहे हैं।
जय भीम’ वैचारिक और तर्कशीलता की ओर बढ़ाता है : महावीर गौतम
सामाजिक कार्यकर्ता महावीर गौतम ने कहा कि ‘jai Bhim’ आज न केवल अभिवादन का प्रतीक है, बल्कि देश की सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक पहचान बन चुका है। उन्होंने कहा कि ‘जय भीम’ कहना सिर्फ नमस्कार और नमस्ते की तरह नहीं है। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति आंबेडकरवादी विचारधारा के करीब हैं। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि वह किसी जाति विशेष का है। उन्होंने कहा कि ‘जय भीम’ वैचारिक और तर्कशीलता की ओर बढ़ाता है। ये मानव जाति की कल्याण की बात करता है, देश के संविधान की बात करता है जिसमें सबका हित है।