Debate on name India : भारत को आजाद हुए 76 साल हो चुके हैं मगर देश के नाम को लेकर अब देश में बहस छिड़ गई है। संविधान में दर्ज ‘इंडिया दैट इज भारत’ को बदलकर केवल भारत करने की मांग उठ रही है। G-20 शिखर सम्मेलन दौरान 9 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर के निमंत्रण पत्र को लेकर देश में चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। क्योंकि G-20 डिनर के इन्विटेशन कार्ड में ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा है। इसको लेकर तरह-तरह की बातें सोशल मीडिया पर जोर पकड़ रही कुछ का कहना है कि इन्विटेशन कार्ड में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ लिखना चाहिए। आईए जानते हैं ‘भारत दैट इज इंडिया’ कैसे हुआ। (Debate on name India)
कैस आया भारत के नाम में इंडिया
यूंह तो भारत को कई नामों से जाना जाता है जिसमें जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया मगर इनमें ‘भारत’ सबसे ज्यादा मान्य और पॉपुलर रहा है। भारत पर समय-समय पर अनेक आक्रमण हुए जिसके चलते भारत में भिन्न-भिन्न तरह के लोग आए और चले गई मगर कुछ यहीं पर रच बस गए और अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ यहां पले बढ़े। इसलिए भारत के अनेक कालखंड़ों में अलग-अलग नाम प्रचलित रहे। अगर मध्य काल भारत की बात करें तो उस दौर में तुर्क और ईरानी लोगों ने सिंधु घाटी से भारत में प्रवेश किया। वो स का उच्चारण ह करते थे।
इस थ्योरी के मुताबिक भारत भूभाग के लोगों को हिंदू कहा जबकि इससे पहले भारत में इस शब्द का प्रचलन नहीं था और यहीं से हिंदुस्तान नाम का प्रचलन शुरू हुआ। सिन्धु नदी को ग्रीक भाषा में इंडस नाम से जानते थे। जिसे इंडस वेली कहा जाने लगा। जब भारत पर ब्रिटिश हकुमत ने कब्ज किया तो उन्होंने अपनी कामकाज की भाषा में इंडिया शब्द का इस्तेमाल किया। इस तरह भारत को इंडिया के रुप में पहचान मिली।
‘We the people of India’ संविधान की प्रस्तावना
1947 में जब भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली, तो उस समय देश के नाम को लेकर भारतीय संविधान के निर्माताओं ने इस विषय पर गहन विचार-विमर्श किया। और अंतत भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को देखते हुए, संविधान में ‘भारत’ और ‘इंडिया’ दोनों नाम रखने का सुझाव आया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, ‘इंडिया, जो कि भारत है (India that is Bharat), राज्यों का एक संघ होगा.’ इस तरह भारतीय संविधान में भारत और इंडिया के रुप में पहचान मिली। इन दोनों का इस्तेमाल करना संवैधानिक है। अगर इन दोनों नामों के अलावा कोई हिंदुस्तान, आर्यावर्त या जंबूद्वीप लिखने लगे, तो इसे संविधान के खिलाफ माना जाएगा। देश के संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है ‘हम भारत के लोग’ यानि ‘We the people of India’.
ये आएगी समस्या (Debate on name India)
अगर इंडिया नाम हटा दिया गया तो संविधान से लेकर तमाम संस्थाओं तक में इसे बदलना पड़ेगा। मसलन कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ भारत हो जाएगा, सुप्रीम कोर्ट ऑफ भारत हो जाएगा। इसी तरह तमाम वैश्विक संगठन जैसे- यूनाइडेट नेशंस की लिस्ट में इंडिया नाम ही चलता है। वहां भी संशोधन करने पड़ेंगे।
देश का अंग्रेजी नाम इंडिया खत्म करके सिर्फ भारत करना है तो इसके लिए संविधान संशोधन करना पड़ेगा। संविधान संशोधन की प्रक्रिया आर्टिकल 368 में दी गई है। संसद के पास ये शक्ति है कि वो संविधान संशोधन कर सकती है। इसके लिए एक विधेयक लाना होगा और दो-तिहाई बहुमत से पारित करना पड़ेगा। यानी लोकसभा में 356 और राज्यसभा में 157 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
CM अरविंद केजरीवाल ने भी जताई आपत्ति
दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘INDIA नाम के अलायंस बनने के बाद ये देश का नाम बदल रहे हैं। अगर कल इंडिया अलायंस ने मीटिंग करके अपना नाम भारत रख लिया तो क्या ये भारत का नाम भी बदल देंगे और क्या ये भारत का नाम बीजेपी रख देंगे।’
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