SC-ST Quota Reservation : एक अगस्त को एससी/एसटी आरक्षण को लेकर कोटे में से कोटा दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की हम सराहना करते हैं। अब इस फैसले से वंचित अनुसूचित जाति के एक बड़े हिस्से को लाभ मिल पाएगा। आईए जानते हैं क्या कहा एडवोकेट प्रमोद बागड़ी ने।
Sachposn News, Hisar : इनेलो के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व इनैलो पार्टी प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्र हलका हिसार एडवोकेट प्रमोद बागड़ी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति के आरक्षण में कोटे में से कोटा निर्धारित करने को दिए गए फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने आज एक बयान जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट से अनुसूचित जाति के एक बड़े हिस्से को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण (SC-ST Quota Reservation) का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं।
आरक्षण कोट बढ़ाने की उठाई मांग (SC-ST Quota Reservation)
इनेलो नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसी जातियां के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है। उन्होंने कहा कि अब केंद्र व राज्य सरकार को अनुसूचित जाति में शामिल सभी जातियों की जनगणना करनी चाहिए और उसी के अनुसार उनको आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय अनुसूचित जाति की जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग 35% प्रतिशत है परन्तु उनको 22.5 % प्रतिशत की बजाय 35% प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए।
जाति के आधार पर होते हैं सबसे ज्यादा प्रताड़ित
एडवोकेट प्रमोद बागड़ी कहा कि आरक्षण के नाम पर अनुसूचित जाति में सबसे अधिक रविदासिया, वाल्मीकि और धानक जाति को प्रताड़ित किया जाता है और उन्हें कहा जाता है कि आपका तो आरक्षण है आपकी नौकरी तो पक्की है जबकि इन सभी अनूसूचित जातियों के 95% शिक्षित युवा बेरोजगार है फिर भी उन्हें आरक्षण के नाम पर कोसा जाता है कोसने वाले भी वो लोग हैं जिनका हरियाणा प्रदेश में एक समाज का व्यापारिक प्रतिष्ठान/दुकानों पर 65% हिस्सेदारी है और दूसरे समाज की 25% तथा पिछड़े वर्ग की एवं किसानों की मात्र 9% एवं अनूसूचित जातियों की लगभग 50 जातियों की 1% से भी कम व्यापारिक प्रतिष्ठान/दुकानों में हिस्सा है तथा हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया, बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया राज्य कमीशन आयोग केंद्र यूपीएससी इत्यादि व सभी संवैधानिक संस्थाओं व सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियो में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी एक परसेंट भी नहीं है इन सभी संवैधानिक संस्थाओं में शून्य के बराबर हिस्सेदारी देखने को मिलती है, देश की सबसे बड़ी पंचायत राज्य सभा में तो अनूसूचित जातियों का आरक्षण ही नहीं है फिर भी इतने बड़े समाज को सभी लोग ईर्ष्या की दृष्टि से तथा कमेंट पास करते हुए कहते हैं कि आप लोगों का तो आरक्षण है।
ये भी पढ़े : SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- कोटे में कोटा असमानता के खिलाफ नहीं…
लेकिन आरक्षण तो हमारा नहीं आरक्षण तो अन्य सभी बिरादरियों का है जो सभी भौतिक संसाधनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं, मगर जो लोग कहते हैं कि आरक्षण गलत है तो सरकार को केवल पांच वर्ष के लिए अनूसूचित जातियों में से बहन मायावती, भाई चन्द्र शेखर आजाद व रामदास आठवले व अन्य किसी एक अनूसूचित जाति के समाजिक विचारधार के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दे फिर अगर अनूसूचित जातियों का आरक्षण कोटा समाप्त करना चाहें तो कर दे।
जबकि इसमें सभी राज्यों की सरकार समय-समय पर अनूसूचित जाति व जनजाति में अन्य जातियों को भी सम्मिलित करती रहती है परन्तु सभी जातियों के अनुपात में अनूसूचित जातियों का कोटा नहीं बढ़ाया गया 47 अन्य जातियों भी इसमें शामिल किया गया है। इन जातियों के बारे में कभी कुछ नहीं कहा जाता है।
एडवोकेट प्रमोद बागड़ी ने कहा कि यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करती है और उनकी जनसंख्या के अनुसार अनूसूचित जाति व जनजाति कोटा को 22.5% से बढाकर 35% करें तो इससे अनुसूचित जाति के शिक्षित युवाओं को सही मायनों में उनकी भागीदारी मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने काफी लंबे समय तक गुलामी सही है, जिसके कारण वो काफी पिछड़ गए हैं। अब उनको भी सम्मान से जीने का अधिकार मिलना चाहिए। इनको मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार गंभीरता से काम नहीं कर रही है, जिसकी वजह से आपस में ईर्ष्या की भावना फैलती जा रही है।
अगर आपको Sachpost news पर दी जाने वाली जानकारी अच्छी लगी तो अपने दोस्तों को भी शेयर करें। अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया कॉमेंट बॉक्स में जरूर दें।