Monsoon Session 2023 HIgh Court Judges : Lok Sabha Monsoon session 2023 चल रहा है जिसमें शनिवार को एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले पांच साल में हुई हाई कोर्ट में जजों की नियुक्तिों को लेकर सवाल पूछा था, जिस पर संसद में केंद्रीय कानून एवं न्याय व संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बहुत ही चौंका देने वाला जवाब दिया।
मंत्री ने खुलासा करते हुआ कहा कि साल 2018 से 17 जुलाई 2023 तक हाई कोर्ट में 604 जज नियुक्त किए गए हैं। जिनमें से 458 जज ‘जनरल’ कैटिगरी के हैं। इनमें से दलित 18 और और आदिवासी केवल 9 ही जज है। जबकि देश की आबादी 140 करोड़ के पार है जिसमें से एससी-एसीटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक मिलाकर 85 प्रतिशत आबादी है।
Monsoon session 2023 : असदुद्दीनओवैसी ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर पूछा था सवाल
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में कमजोर वर्गों के असमान प्रतिनिधित्व को लेकर सवाल पूछा था।
ओवैसी ने पूछा था, “क्या यह सच है कि सभी हाईकोर्ट में पिछले पांच वर्षों के दौरान नियुक्त किए गए 79 प्रतिशत जज ऊंची जातियों से थे जो पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के असमान प्रतिनिधित्व का संकेत देते हैं?” इस पर मेघवाल ने लोकसभा को बताया कि पिछले पांच वर्षों में नियुक्त 604 हाईकोर्ट के जजों में से 458 जनरल, 72 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटिगरी के हैं, 18 अनुसूचित जाति (SC) कैटिगरी के हैं, और केवल नौ अनुसूचित जनजाति (ST) कैटिगरी के हैं।
क्या कॉलेजियम के बाद बढ़ी असमानता?
उन्होंने आगे कहा कि 604 न्यायाधीशों में से केवल 34 ही अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। मंत्री ने लोकसभा को यह भी बताया कि 13 जजों के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है क्योंकि जब जजों के पद के लिए उनके नामों पर विचार किया गया था तब उन्होंने प्रासंगिक जानकारी नहीं भरी थी।
ओवैसी ने जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश और अन्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सामने न्यायसंगत प्रतिनिधित्व के मुद्दे को उठाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक और सवाल पूछा। ओवैसी जानना चाहते थे कि क्या न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली लागू होने के बाद असमान प्रतिनिधित्व बढ़ गया है।
जजों की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान नहीं
उन्होंने कहा कि अगर इसका जवाब ‘हां’ है तो “इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के परामर्श से क्या कदम उठाए जा रहे हैं?” इस पर मंत्री ने संसद को बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत की जाती है। इसके तहत किसी भी जाति या व्यक्तियों के वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि जजों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय, हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अन्य अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित उपयुक्त उम्मीदवारों पर विचार किया जाए।
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संसद को यह भी बताया गया कि 2018 में लागू हुए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) के अनुसार हाईकोर्ट के जजों की पदोन्नति के लिए सिफारिश करने वालों द्वारा जजों की सामाजिक पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान की जाती है। हाल के कॉलेजियम प्रस्तावों से यह भी पता चलता है कि कॉलेजियम ने सरकार को सिफारिशें करते समय सामाजिक विविधता को ध्यान में रखा है।
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