Sachpost News, Network NDA exam : एक कहावत है कि अगर व्यक्ति ठान ले तो बड़ी से बड़ी उपलब्धि भी उसके कदमों में आ सकती है। कुछ ऐसे ही जज्बे के साथ लगातार आगे बढ़ते हुए रोहतक जिले की बेटी शनन ढाका ने NDA के पहले महिला बैच के एंट्रेंस exam में टॉप करके इतिहास रच दिया है। वास्तव में शनन देश की सभी लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में NDA exam पास कर एक बड़ा मुकाम हासिल करके सभी के लिए उदाहरण पेश किया है।
NDA Exam में टॉपर बन शनन ने रचा इतिहास
रोहतक जिले के एक छोटे से गांव सुंडाना की रहने वाली शनन ढाका ने NDA exam के पहले महिला बैच में टॉपर बनकर इतिहास रच दिया। सेना के परिवार और कैंट एरिया में पली-बढ़ीं, शनन के लिए अपना करियर चुनना काफी आसान था। इसीलिए तो UPSC की तैयारी कर रहीं शनन को जैसे ही पता चला कि महिला उम्मीदवार भी NDA exam में बैठ सकती हैं तो तुरंत इसका आवेदन कर दिया।
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एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित हैं शनन
NDA परीक्षा में ओवरऑल 10वीं रैंक हासिल करने वाली शनन ने ‘हरियाणा के रंग संजय के संग’ एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि कैंट एरिया में रहते हुए देखा कि सेना के ऑफिसर्स को बहुत ही मान-सम्मान मिलता है और सेना के जवानों पर बहुत भरोसा करते हैं बस यहीं से सेना में जानी की प्रेरणा मिली।
उन्होंने कहा कि वह दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से भी काफी ज्यादा प्रभावित और प्रेरित हैं, जिन्होंने अपने कौशल, दृढ़ संकल्प और ईमानदारी से अपने करियर की शुरुआत की और ऊंचाइयों तक पहुंचे।
40 दिनों तक रोजाना 8 से 10 घंटे की पढ़ाई
NDA exam की प्रवेश परीक्षा की तैयारी को लेकर शनन ने बताया कि उनका बेस काफी अच्छा था इसलिए बहुत कठिन महनेत नहीं करनी पड़ी। शनन ने बताया कि NDA exam से पहले लगातार 40 दिनों तक प्रतिदिन 10 घंटे पढ़ती थी। इसके अलावा पिछले कई सालों के प्रश्न पत्रों को भी हल किया। जिससे NDA exam में सफल होने में काफी सहायता मिली।
शनन ने NDA एग्जाम तैयारी करने वालों को सलाह दी कि सेना में शामिल होने का उद्देश्य एक ऑफिसर होने की लालसा और चमकदमक नहीं होनी चाहिए बल्कि सैना में आने का उद्देश देश के लिए मुश्किल से मुश्किल घड़ी में दिलोजान से काम करने के लिए तैयार हों।
मिलिट्री में नर्सिंग अफसर के पद पर काम कर रही शनन की बड़ी बहन
शनन तीन बहनें हैं एक बड़ी है और एक उनसे छोटी है। शनन जीरकपुर में रह रही है। बता दें कि शनन की बड़ी बहन जोनून ढाका जोकि मिलिट्री में ही नर्सिंग अफसर के पद पर काम कर रही है और छोटी बहन अभी स्कूल में पढ़ती है।
NDA एग्जाम में सफल होने के बाद तीन साल पुणे स्थित प्रशिक्षण संस्थान में ट्रेनिंग के लिए जाएगी और उसके बाद एक साल तक भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लेगी।
दादा और पिता से मिली आर्मी में जाने की प्रेरणा
शनन अपने इस सफलता का श्रेय अपने दादा और पिता को देती हैं। उन्होंने दादा सूबेदार चंद्रभान ढाका और पिता नायब सूबेदार विजय कुमार ढाका से प्रेरित होकर आर्मी में भर्ती होने का और देश की सेवा का फैसला लिया। शनन के पिता सेना में मानद नायब सूबेदार थे और उनके पिता एक सूबेदार थे। उनकी बेटी सेना के परिवेश में पली-बढ़ी, छावनी क्षेत्रों में रहती थी और देखा कि सेना के अधिकारियों के साथ कितना सम्मानजनक व्यवहार किया जाता है। इसी से प्रेरणा लेकर शनन ने भी सेना में शामिल होने का फैसला लिया।