Electric Highway : रेलवे की ज्यादातर ट्रेनों को बिजली से चलते तो आपने देखा होगा लेकिन अब देश में जल्द ही बसें भी इलेक्ट्रिक पॉवर लेकर चलती नजर आएंगी। स्वीडन और जर्मनी में इलेक्ट्रिक बसों के लिए अलग रूट हैं, जिन पर बसें बिजली से चलती है। कुछ इसी तर्ज पर भारत में भी इलेक्ट्रिक हाईवे बनेगा। जिसके बाद भारत की सड़कों पर भी बिजली से चलने वाली बसें और ट्रक दौड़ते नजर आएंगे। इसका रूट भी तय हो गया है दिल्ली- जयपुर के बीच बनने वाला यह दुनिया का सबसे लंबा इलेक्ट्रिसिटी इनेबल्ड हाईवे होगा।
इस इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए अलग सड़क नहीं बल्कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर ही एक डेडिकेटेड लेन बिजली से चलने वालों के लिए होगी। इस लेन के ऊपर बिजली की तार होगी जिससे वाहनों को चलने के लिए बिजली का करंट मिलता रहेगा और वाहन चालक बेधड़ होकर गा़ड़ी को चला सकता है।।
Electric Highway प्रोजेक्ट को बिल्ट,ऑपरेट एंड ट्रांसफर योजना के तहत बनाने की योजना है। टाटा और सिमन्स जैसी बड़ी कंपनियां इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रही है। इलेक्ट्रिक हाईवे पर चलने वाले वाहन भी आम गाड़ियों से अलग होंगे।
अन्य इलेक्ट्रिक साधन जहां बैटरी से चलते हैं और उन्हें रोजाना चार्ज करने की जरूरत होती है। लेकिन, इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए बनाई जाने वाली बसें बैटरी से नहीं चलेंगी।
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रेल और मेट्रो की तरह चलेंगी बसें (Electric Highway in India)
जिस तरह पटरी पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों चलती है उसी तर्ज पर की इलेक्ट्रिक हाईवे पर बसें भी चल पाएंगी। पेंट्रोग्राफ की सहायत से इलेक्ट्रिक हाईवे पर बसों को बिजली सप्लाई मिलती रहेगी और बसें चलती रहेगी, क्योंकि पेंट्रोग्राफ से लगातार बिजली मिलेगी तो बसों को बार-बार चार्ज करने की जरूरत ही नहीं होगी और न ही इन बसों में बैटरियों का इस्तेमाल होगा।
जानिए क्या होता है इलेक्ट्रिक हाईवे
Electric Highway पर वाहनों को जमीन से या फिर ऊपर लगी तारों से बिजली दी जाती है। दुनिया के कई हिस्सों में बसों और ट्रकों के लिए इलेक्ट्रिक हाईवे बनाए गए हैं। इन वाहनों को चार्जिंग स्टेशन पर रुककर चार्ज करने की जरूरत नहीं होती है।
आपने देखा होगा कि ट्रेन की पटरी के ऊपर भी बिजली की तारे निकल रही होती हैं। ट्रेन के ऊपर लगा पेंट्रोग्राफ इन तारों से जुड़ता और फिर बिजली ट्रेन के इंजन में ट्रांसफर होती है। ठीक इसी तरह से Electric Highway भी काम करता है।
स्वीडन ई-हाईवे शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है। स्वीडन ने 2016 में ई-हाइवे का ट्रायल शुरू किया था और 2018 में पहला ई-हाईवे शुरू किया।स्वीडन के बाद जर्मनी ने 2019 में इलेक्ट्रिक हाईवे की शुरुआत की। ये हाईवे 6 मील लंबा है।
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