Haryana Election 2024 Analysis by Janakraj Atwal (senior journalist) : अगले साल हरियाणा में इलेक्शन होने जा रहे हैं। अभी तीन राज्यों में कांग्रेस की हार से हरियाणा की राजनीति में भी जबरदस्त प्रभाव पड़ने वाला है। यहां कांग्रेस के जो जो दिग्गज खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर रहे थे, उनकी पोल अब खुल कर सामने आ गई है।
विशेषकर एसआरके ग्रुप की, जो चाहे हरियाणा में अपनी खुद की सीट भी बड़ी मुश्किल से बचा पाते हों, प्रदेश में इस बार कांग्रेस की लहर के बूते खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल मान रहे थे। उन्हें प्रदेश में अब जनता के बीच अपनी दावेदारी जताने में थोड़ी हिचकिचाहट महसूस अवश्य होगी।
चाहे उनमें छत्तीसगढ़ की प्रभारी के रूप में खुद को हरियाणा में सीएम पद की दावेदार व प्रदेश की एकमात्र दलित नेत्री बताने वाली कुमारी शैलजा हो या फिर कर्नाटक में कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद गर्व महसूस करने वाले मध्य प्रदेश के प्रभारी बनाए गए रणदीप सिंह सुरजेवाला हो अथवा किरण चौधरी जिन्हें राजस्थान में चुनाव के दौरान प्रभारी बनाया गया था।
कुमारी शैलजा ने जो रणनीति छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की विजय के लिए बनाई, निश्चित रूप से वह उनके चुनावी कौशल को आंकने के लिए थी। कांग्रेस आलाकमान को यह समझ में आ गया होगा कि हरियाणा में उनका मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी में भी कितना दम है। इसी प्रकार रणदीप सिंह सुरजेवाला जिन्हें मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विजय रथ का प्रभार दिया गया था, वे जब उस विजय रथ को गति नहीं दे पाए तो उनकी कार्यक्षमता का भी कांग्रेस आलाकमान को अनुमान लग गया होगा।
प्रदेश में उनकी सीएम पद की दावेदारी पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। किरण चौधरी को भी राजस्थान में प्रभारी बनाया गया था परंतु उनको भी जो सफलता मिली, वह किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में एसआरके ग्रुप जो प्रदेश में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मात देकर खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदारी जता रहे थे, उनकी हालत पतली नजर आने लगी है।
हालांकि पार्टी ने राजस्थान में किरण चौधरी के साथ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी भेजा गया था परंतु उनके प्रयास कांग्रेस के कुछ काम जरूर आ गए, जबकि सबको ये भी पता है कि वर्तमान में हरियाणा में कांग्रेस के जितने भी विधायक हैं, उसमें से 80 प्रतिशत तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बदौलत ही विधायक बने हैं, जबकि मुख्यमंत्री पद के अन्य नेता तो अपनी अपनी विधानसभा में भी जीतने के लिए शंकित हैं।
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