Maan ki lalsa : जब एक व्यक्ति के जीवन में पतझड़ो की झड़ी लग जाये और उसके जीवन में एक भी बसन्त ना आया हो तो आप सोचने के लिए मजबूर हो जायेगें कि एक बसन्त का मानव जीवन में क्या महत्व होता है। मन की भावनाएँ कैसे मन को विचलित कर देती हैं। रंग बिरंगा संसार एक रंग विहिन लगने लगता है । उसे रिमझिम बरखा का कोई आनन्द नही आता इन्द्र धनुष का उसके जीवन में कोई माईने नही रखता हलचल करके किनारों को छूकर वापिस समुन्द्र में मिल जाती है ऐसे ही एक । समुन्द्र की लहरें मनुष्य की भावनाएँ तिलमिला कर के रह जाती हैं जिसकी वह अपेक्षा करता है
एक व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसा ही घटित हुआ है। उसने बचपन से लेकर जवानी तक मुसीबतों को ही ढोया है। चैन से कभी एक सास भी नही ली । दिन महीने वर्ष बीतते गये, मन की अभिलाषाएँ जागृत होती रही – और उनको पूरा करने की कल्पना भी बढ़ती उमर के साथ विशाल रूप लेती रही । आखिर कब तक उन सुन्दर पलों का इन्तजार करता जो उसने अपने मन में संजोये थे।
आयु 60 को छूने वाली थी तो उसके मन के एक कोने में नई कपोले जन्म लेने लगी । मन की बगीया हरी होने लगी । जब यह स्वयम को व अपनी सूरत को देखतों को सिलवटों भरा चेहरा, धूमिल दृष्टि, दांतो का गायब होना, काले व सुन्दर बाल सफेद व करकस होते दिखाई देते । जिस चेहरे को वह बार- बार दर्पण में देखता था आज वही चेहरा एक खण्डहर में परिवर्तित हो चूका था।
वह व्यक्ति हार मानने वाला नही था मुसीबतों को झेलते झेलते उसका मन व शरीर कर्मठ हो चूका था । फिर सपने देखने लगा । साठ की उमर हुई तो क्या हुआ, शरीर वृद्ध हो गया तो क्या हुआ मन तो अभी जिन्दा व जवां है। शादी नही हुई तो क्या हुआ । क्या मेरी उमर बीत गई है | मनुष्य की आयु बहुत लम्बी होती है और उसमे कई पड़ाव आते रहते हैं मनुष्य को संघर्ष करते रहना चाहिए और हार को स्वीकार नहीं करना चाहिए ।
जब एक मकान पुराना में जर्जर हो जाता है तो उसका काया कल्प नहीं हो सकता ? उसकी टूट-फूटी ठीक करके उसकी मुरम्मत की जाती है रह रोगन लीपा पोती करके उसे चमकाया जाता है तब यह मकान नया व सुन्दर बन जाता है। लोग उस मकान को नया समझने लगते हैं क्या ऐसा ही मेरा काया कल्प नही हो सकता ? यदि मेरे साथ ऐसा हुआ हो तो रिश्ते वालों की लाईन लग जायेगी और वो मेरे आगे पीछे दौड़ेंगे । मेरा रंग सांवला हुआ तो क्या हुआ मेरी कद काठी तो अब तक सही है अच्छा खासा कमाता और 40 वर्ष में इतना कमाया है कि मेरी जीवन संगीनी को किसी भी संकट का सामना नही करना पड़ेगा और वह राज करेगी और कहेगी कि एक राजकुमार से पाला पड़ा है।
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जब बाल रंगीन हो गये तो उसका मन भी रंगीन हो गया । वस्त्र भी नये पहन लिए । उसके पांव अब धरती पर नही टिकते थे जब वह चलता या तो उसे लगता था कि उसको पंख लग गये हों । उसके मित्रों ने जब उसे नये रंग- रूप व नई चाल में देखा तो हर कोई कहता प्यारे लाल। आज तो आप जवां नजर आ रहे है क्या शादी करने का इरादा है ? यह सब सुनकर वह बहुत प्रसन्न होता और सोचता मेरे मित्रों ने मेरे मन की बात भांप ली है और हंसकर शर्माते हुए अपना चेहरा नीचे कर लेता । उसके मन में लड्डू फूटने लगते। अब अपने मित्रों की ऐसी प्रतिक्रिया देखके उसने अब पक्का निश्चय का लिया कि अब उसके जीवन में शहनाई की गूंज अवश्य बजकर रहेगी ।
प्यारे लाल के कुछ ऐसे मित्र भी जो उसके मुख के सामने उसकी प्रशंसा करते और उसकी पीठ के पीछे उसके पागलपन का मजाक उड़ाते। अदा यह सठिया गया है बहकी बहकी बातें करने लगा है बालों को खिजाब क्या लगाया है कि उसके दिमाग को भी खिजाब लग गया है । उसके दिमाग के सोचने समझने की शाक्ति जवाब दे चूकी है। वह क्या समझे कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जिसने आज जन्म लिया है वह शैशव, तरुण, जवानी वृद्धा अवस्था में जायेगा और उसका अन्त भी होगा ।
यह अटल सत्य है हर अवस्था समय के अनुरूप चलती है बड़ी से बड़ी शक्ति भी इसे बदल नही सकती है। संसार का कोई भी जीव जन्तु, पेड़ पौधा जन्म लेता और समयानुसार अपनी आयु पूरी करके इस दुनिया से चला जाता है | परन्तु मनुष्य के मन की लालसा (Maan ki lalsa) का कभी अन्त नहीं होता । उसके Maan ki lalsa है कि वह चिरन्जीव रहता चाहता है और अमरत्व प्राप्त करना चाहता है । जो उसके मन की यह भूल है सुबह होगी तो यह रात भी होगी जन्म होगा तो मृत्यु भी निश्चित है। जहां लाभ होगा वहां हानि भी होगी। आज जहां धूप है कल वहां पर छाया भी होगी । समय अपनी गति से चलता रहता है। परिवर्तन का पहिया चलता आया है और आगे भी चलता रहेगा। समय के साथ इसकी रफतार घटती बढ़ती रहती है ।
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आपकी कलम से…
बंसीलाल नारंग, हिसार, हरियाणा।