Bhiwani news : सोचिए किसी इंसान के दो छोटे-छोटे बच्चे किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो और मजबूर पिता अस्पताल के चक्कर काट कर थक हार चुका हो। सरकार मदद करने को तैयार नहीं अस्पताल में दवाई नहीं तो ऐसा इंसान आखिर क्या कर सकता। जी हां हम बात कर हैं भिवानी जिले के गांव फूलपुरा के सुंदर की जिनके दो बेटे muscular dystrophy नामक बीमारी से पीड़ित हैं।
सुंदर ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बच्चों के इलाज करवाने की गुहार लगाई है अगर ऐसा नहीं कर सकते तो परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है।
दर-दर की ठोकरें खा रहा मजबूर पिता
जिले के गांव फूलपुरा निवासी सुंदर सिंह के दोनों बेटे muscular dystrophy नामक बीमारी से पीड़ित हैं। वह अपने बेटों के इलाज के लिए पिछले कई सालों से दर-दर की ठोकरें खा रहा है। मगर कोई फायदा नहीं हुआ । इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर परिवार सहित इच्छामृत्यु या सरकार द्वारा इलाज करवाने की मांग की है।
सुंदर सिंह ने लिखा है कि हम हर तरफ से थक हार चुके हैं, हम अपने बच्चों को यूं तिल-तिल कर मरते नहीं देख सकते। इसलिए उन्होंने फैसला लिया है कि वह पूरे परिवार के साथ इस दुनिया को अलविदा कहेंगे। इसलिए पूरे परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की स्वीकृति दी जाए या फिर उनके बच्चों को बिना किसी देरी के इलाज मुहैया कराया जाए।
पीड़ित बोला- चार पीड़ियों में किसी को ऐसी नहीं बीमारी
सुंदर का आरोप है कि सरकार उसके बेटों के लिए दवाई तक उपलब्ध नहीं करवा पाई साढ़े 9 साल, छोटे बेटे विरेंद्र की उम्र मात्र 8 साल की है । अगर उनका इलाज नहीं हुआ तो 10 साल की उम्र में ही वे व्हीलचेयर पर आ जाएंगे। डाक्टरों ने उसे बताया कि यह बीमारी जैनेटिक है जबकि है। उसके बड़े बेटे हरेंद्र की उम्र उसके व उसकी पत्नी के परिवार में 4 पीढ़ियों से किसी को यह बीमारी नहीं हुई।
वह अपने बेटों के इलाज के लिए पिछले 3 साल से पीजीआई चंडीगढ़ व रोहतक के अलावा एम्स व दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों को कई बार दिखा चुका है। इसके बावजूद उसके बेटों की हालत में किसी तरह का सुधार नहीं हो रहा ।
यह भी पढ़ें… Cervical cancer awareness : शारीरिक संबंध बनाने से होती है सर्वाइकल कैंसर, जानिए कैसे ?
क्या होती है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (muscular dystrophy) बीमारी
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वंशानुगत विकारों का एक समूह है जो शरीर की मांसपेशियों के विघटन की ओर ले जाता है, जिसे फैटी टिशू द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। जबकि कुछ मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बच्चों में विकसित होती हैं, कुछ अन्य केवल वयस्कों में होती हैं।
आज की ताजा खबरें पढ़े देश की सबसे तेजी से उभरती विश्वसनीय हिंदी न्यूज वेबसाइट Sachpost.com पर।