Haryana Big News: हरियाणा में सीईटी के तहत लगाए गए हजारों युवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम ने भी हरियाणा सरकार को बड़ा झटका दे दिया है। जानिए सीईटी को लेकर क्या फैसला सुनाया है सुप्रीम कोर्ट ने पढ़िए पूरी खबर विस्तार से…।
आज की ताजा अपडेट खबर पढ़ने के लिए आप हमें Facebook page और Google News पर फॉलो करें।
Sachpost News, Delhi : हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी भर्ती परीक्षा में सामाजिक-आर्थिक आधार पिछड़े उम्मीदवारों को 5 नंबर का बोनस अंक दिए जाने के फैसले पर रोक लगा दी है। सोमवार को दिए फैसले में कोर्ट ने कहा- यह असंवैधानिक है।
बता दें कि हरियाणा सरकार ने कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) में 1.80 लाख सालाना इनकम वाले परिवारों को यह आरक्षण दिया था। जिसमें परिवार पहचान पत्र वाले युवाओं को ही इसका फायदा दिया जाता था। इससे पहले हाई कोर्ट इस कानून को रद्द करते हुए इसे असंविधानिक बताया है। जिसके बाद हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।
ये भी पढ़ें… Haryana Job Alert : हरियाणा में 50 हजार भर्तियां निकालने की तैयारी शुरू, तारीख की घोषणा भी हुई तय….
सरकार ने एग्जाम करवाने वाले हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के जरिए सुप्रीम कोर्ट में 4 पिटीशन दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साल 2023 में निकाली गई ग्रुप C और D में नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं को दोबारा एग्जाम देना पड़ेगा। अगर वे पास नहीं हो पाए तो नौकरी से बर्खास्त हो जाएंगे।
HC आरक्षण को बता चुका असंवैधानिक
हाईकोर्ट ने कहा था कि यह फायदा देने से पहले न तो कोई डाटा एकत्रित किया गया और न ही कोई आयोग बनाया गया। इस प्रकार, पहले सीईटी में 5 अंकों का और फिर भर्ती परीक्षा में 2.5 अंकों का लाभ तो भर्ती का परिणाम पूरी तरह से बदल देगा। इन अंकों का फायदा देते हुए केवल पीपीपी धारकों को ही योग्य माना गया है जो संविधान के अनुसार सही नहीं है।
नियुक्ति में किसी फायदे को राज्य के लोगों तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। एक बार अनुच्छेद 15 और 16 तथा नीति निर्देशक सिद्धांत पूरे भारत में लागू होते हैं। जहां सभी नागरिक रोजगार पाने के हकदार हों, वहां राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में नागरिकता के आधार पर विशेष आरक्षण लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।